➤ शुक्रवार सुबह शिमला में 3.2 तीव्रता का भूकंप महसूस किया गया
➤ लोग नींद से जागकर घरों से बाहर निकले, अभी तक कोई नुकसान नहीं
➤ हिमाचल का बड़ा हिस्सा भूकंप के जोन-5 में शामिल, बार-बार झटके आते रहते हैं
हिमाचल प्रदेश में शुक्रवार सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.2 मापी गई। नेशनल सेंटर फॉर सिस्मोलॉजी (NCS) के अनुसार, इसका केंद्र धरती की 10 किलोमीटर गहराई में स्थित था। जैसे ही झटके महसूस हुए, लोग नींद में घरों से बाहर निकल आए। फिलहाल शिमला और आसपास के क्षेत्रों में किसी जान-माल के नुकसान की खबर नहीं है।
शिमला जिला भूकंप की दृष्टि से अति संवेदनशील जोन-5 में आता है, इसलिए यहां बार-बार भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं। शिमला के साथ कांगड़ा, चंबा, किन्नौर और मंडी जिले के कई हिस्से भी इसी श्रेणी में आते हैं। जम्मू-कश्मीर की सीमा से लगे चंबा में भी अक्सर भूकंप आते रहते हैं।
करीब दो महीने पहले भी चंबा में दो बार भूकंप महसूस किया गया था। पहले भूकंप की गहराई 20 किलोमीटर थी, जबकि दूसरी बार की 10 किलोमीटर।
1905 में हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में 6.6 तीव्रता का विनाशकारी भूकंप आया था। उस हादसे में 20 हजार से अधिक लोगों की जान गई थी और हजारों लोग बेघर हो गए थे। वह भारत के सबसे भयानक भूकंपों में से एक माना जाता है।
भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) के अनुसार, देश को 5 भूकंप जोन (Zone 2–5) में विभाजित किया गया है। जोन-5 सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है, जिसमें भारत का लगभग 11% हिस्सा आता है। इस जोन में हिमाचल प्रदेश का पश्चिमी भाग, कश्मीर घाटी, उत्तराखंड का पूर्वी क्षेत्र, गुजरात का कच्छ का रण और बिहार का उत्तरी इलाका शामिल हैं।
अब सवाल उठता है कि भूकंप क्यों आता है?
धरती के नीचे 7 बड़ी टेक्टोनिक प्लेट्स मौजूद हैं, जो एक-दूसरे से जुड़ी हुई हैं। इनके नीचे की परत अस्थेनोस्फीयर कहलाती है, जिसमें गर्म लावा लगातार बहता रहता है। इससे प्लेट्स पर दबाव बनता है और वे धीरे-धीरे खिसकती रहती हैं।
जब ये प्लेट्स आपस में टकराती हैं, तो जहां टकराव होता है उसे फॉल्ट लाइन कहा जाता है। लगातार टकराव से प्लेट्स के किनारे मुड़ते और टूटते हैं, जिससे भीषण ऊर्जा निकलती है। यह ऊर्जा तरंगों (वेव्स) के रूप में धरती के विभिन्न हिस्सों में फैलती है, जिससे भूकंप के झटके महसूस किए जाते हैं।



